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Jodhpur - 342001
जिला चूरू के वीर बिग्गामल जी डूडी ने गायों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए । पोटी गाँव के पोटलिया गोत्र के जाटों की लड़की अपने घर चरखा कात रही थी । बिग्गामल जी घोड़ी पर सवार थे और रास्ते में इस लड़की से पानी माँगा । लड़की ने जवाब दिया तुम क्या मेरी खेदियोड़ी मोड़ दोगे अर्थात मेरी गायें राठ ले गए हैं उनको वापस ला दोगे घ् बिग्गाजी ने कहा कि गायें लाने में मर गया तो क्या सती हो जावोगी । लड़की ने जवाब दिया यह तो वक्त ही बताएगा । बिग्गामल जी बिना पानी पिए ही राठों के पीछे हो लिए । वहां पर भिडंत हुई । गाये तो छुड़ाली लेकिन बिग्गामल जी शहीद हो गए । काफी देर इंतजार के बाद वह लड़की पानी का गुणिया भरकर साथ में कुत्ता लेकर गयी । आगे जाकर देखा तो बिग्गाजी मृत मिले । वह लड़की उन पर कुंवारी सती हो गयी । यह स्थान पोटी से उत्तर.पूर्वी कोने पर स्थित है जहाँ मंदिर बना है । यहाँ लोग दाद के इलाज की मन्नत मांगने जाते हैं । विश्वास है कि यहाँ पूजा करने से दाद अच्छे हो जाते हैं ।
जोधपुर अखिल भारतीय पोटलिया परिवार की ओर से स्नेह मिलन व प्रतिभा सम्मान समारोह डीपीएस चौराहा स्थित एक गार्डन में आयोजित किया गया। इसमें राजस्थान मध्यप्रदेश व हरियाणा के हजारों लोगों ने भाग लिया। समारोह में आयकर विभाग उदयपुर के संयुक्त आयुक्त आईआरएस भैराराम पोटलिया खारा ने कहा कि पोटलिया परिवार में व्याप्त कुरीतियों को दूर करना और युवाओं को नशे से दूर करने के लिए समाज को मिलकर कार्य करना होगा। महासभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मूलाराम पोटलिया भाचभर ने समाज के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा तत्पर रहने की बात कही। कार्यक्रम में पोटलिया परिवार से प्रतिभावान विद्यार्थियों प्रशासनिक सेवा में चयन होने वालों तथा खेलों में पदक प्राप्त एवं अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। अखिल भारतीय पोटलिया महासभा का गठन भी किया गया। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मूलाराम पोटलिया भाचभर व संरक्षक पद पर भंवरलाल पोटलिया झाड़ेली रामचंद्र पोटलिया बीकानेर भेराराम पोटलिया खारा मूलाराम पोटलिया भाण्डू व कार्यकारी अध्यक्ष पद पर रविंद्र पोटलिया भुरटिया व उपाध्यक्ष पद पर महेंद्र पोटलिया बीजरासर प्रदीप पोटलिया ढाड़ विजय कुमार पोटलिया साडासर व महासचिव पद पर मंगतराम चाऊवाली हुकमाराम रायधनु व सचिव पद पर अमरसिंह पोटलिया आदर्श चवा कोषाध्यक्ष पद पर प्रह्लादराम पोटलिया भाण्डू को निर्वाचित किया गया।
जाट भारत और पाकिस्तान में रहने वाला एक क्षत्रिय समुदाय है। भारत में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में वसते हैं। पंजाब में यह जट कहलाते हैं तथा शेष प्रदेशों में जाट कहलाते है।
जाट एक आदिकालीन समुदाय है और प्राचीनतम क्षेत्रीय वर्ग है जिसकी अनेक अनुपम विशेषताएं हैं। इसकी सामाजिक सरंचना बेजोड़ है। इस जाति ने आदिकाल से कुछ सर्वमान्य सामाजिक मापदण्ड स्वयं ही निर्धारित कर रखे हैं और इनके सामाजिक मूल्यों का निरंतर संस्तरण होता आ रहा है। जाट समाज की गोत्र और खाप व्यवस्थाएं अति प्राचीन हैं और आज भी इनका पालन हो रहा है। जाट समाज में अपने वंश गोत्र के लोग परस्पर भाई-भाई की तरह मानते है। समय समय पर मीडिया में इन व्यवस्थाओं पर हमला होता रहा है। यह समझना आवश्यक है कि जाट जाति क्या है ? जाट शब्द कितना प्राचीनत है ? जाट शब्द कैसे अस्तित्व में आया ? जाट जाति की उत्पत्ति और विस्तार कैसे हुआ ? इसका प्राचीन इतिहास क्या है ?
अपने परिवार के समर्पित भाई रविंद्र पोटलिया अपने परिवार के लिए कुछ करने एवं परिवार को एकजुट करने हेतु सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए दिनांक 22 सितम्बर 2016 को एक व्हाट्सप्प ग्रुप पोटलिया बंधू का निर्माण किया गया ण् जिसमे सम्पूर्ण भारत के पोटलिया बंधुओं को आपस में एक दूसरे से जोड़ने हेतु प्लेटफार्म त्यार किया गया ण् उक्त ग्रुप का विस्तार बाड़मेर से बहार निकल कर जोधपुर नागौर चूरू हनुमानगढ़ होते हुए मध्य प्रदेश और हरियाणा मैं निवासरत पोटलिया बंधुओं को सदस्य बनाया गया इस ग्रुप को 2 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में डॉ मूल चाँद पोटलिया गरल और भाई अमर सिंह पोटलिया आदर्श चवा के साथ मिलकर भाई रविंद्र पोटलिया भुरटिया द्वारा एक स्नेह मिलान कार्यकर्म का आयोजन किया गया जिसमें अखिल भारतीय पोटलिया परिवार के कार्यक्रम को आगे बढ़ने हेतु निर्णय किया गया ण् भाई अमर सिंह ने पोटलिया परिवार की उत्पति एवं इतिहास की जानकारी हेतु वंशावली का निर्माण करना शुरू किया !
अब रविंद्र पोटलिया के साथ भाई अमर सिंह पोटलिया और डॉक्टर मूलचंद पोटलिया ने भी अपने परिवार को एकजुट करने हेतु प्रयास करना शुरू किया एवं इसी कड़ी में श्री मूलाराम जी पोटलिया भाचभर ने द्वितीय अखिल भारतीय पोटलिया परिवार के स्नेह मिलान का आयोजन करने का बीड़ा उठाया एवं जिसका भव्य आयोजन 27 जनवरी 2019 को किया गया !
इस स्नेह मिलन में हज़ारो की संख्या में सम्पूर्ण भारत के पोटलिया बंधुओ ने भाग लिया और सभी ने मिलकर अखिल भारतीय पोटलिया महासभा को अस्तित्व में लाया एवं इसके कार्यकारिणी का गठन किया गया एवं इस प्रकार अखिल भारतीय पोटलिया महासभा अस्तित्व में आयी !
राष्ट्र के अभिभ अंग के रूप में समाज के हितों के लिये कार्य करना एवं सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक इत्यादि सर्वांगीण उन्नति हेतु कार्य करना।
समाज के उत्थान/विकास के लिए निचले स्तर से एक संगठनात्मक ढ़ाँचा तैयार करना जो त्री - स्तरीय होगा -
1.तहसील ईकाई 2. जिला स्तरीय 3. समभाग स्तरीय 4. राज्य स्तरीय
भविष्य में तहसील व जिला इकाईयो के गठन के नियम आवश्यकतानुसार साधारण सभा द्वारा बनाये जायेंगे व साथ ही सदस्यों की संख्या आधार पर ग्राम इकाई भी गठित करने के नियम साधारण सभा बना सकेगी।
पोटलिया परिवार की पंजीकृत/अपंजीकृत संस्थाओं के साथ सहयोग करना एवं लेना।
पुरातन समय से चली आ रही सामाजिक व्यवस्था को सुचारू संचालन के कार्य करने वाले समाज के गांव/शहर ें के साथ समन्वय स्थापित करना।
समाज को सुसंगठित करना एवं आपसी मेलजोल एवं सद्भाव बढ़ाना।
समाज की मान मर्यादा, गौरव एवं संस्कृति के विकास एवं रक्षा हेतु कार्य करना एवं उसका प्रतिनिधित्व करना।
समाज में व्याप्त कुरीतियां जैसे मृत्यु भोज, ओढ़ावणी, बाल विवाह, दहेजप्रथा, आदि के उन्मूलन एवं प्रगतिमूलक उद्धेश्यों की प्राप्ति में नई रीतियों का समन्वय करना।
संस्था के सदस्यों एवं आम जन के बीच भाईचारा, सहकारिता, परस्पर सद्भाव स्नेह और अपनत्व की भावना पैदा करना।
समाज के विद्यमान संस्थानों, छात्रावासो, आश्रमों, धर्मशालाओं, मंदिरों और अन्य संस्थानों को संरक्षित करना एवं नये संस्थानों का निर्माण करना, परिवर्धित करना, उनका समुचित रख रखाव करना, उनमें सुधार करना, उनका विकास करना एवं आवश्यकतानुसार प्रबन्धन में सहयोग करना।
समाज के युवाओं एवं अन्य के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक कोशल उत्थान या इसके विकास के लिए किसी भी संस्था या विद्यालय या संघ को सहायता देना या स्थापित करना या सहयोग करना साथ ही आावश्यकतानुसार शिक्षा हेतु विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या समकक्ष संस्थाओं का गठन एवं प्रबंधन करना।
ऐसे जरूरतमंद व्यक्तियों, जो अन्यथा अक्षम या विकलांग है या मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर है, के जीवन उपयोगी दवाईयों के साथ साथ आर्थिक सहायता प्रदान करना और निर्धन वर्ग के किसी भी व्यक्ति के उत्थान के लिए वित्तीय व्यवस्था और प्रबन्धन करना।
समाज के किसी भी अविवाहित लड़की या लड़के, विधवा या विदुर के जीवन के उत्थान के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर सामाजिक, नैतिक और वित्तीय सहायता देना।
आध्यात्मिक अध्ययन की अभिवृद्धि करना और आम लोगों के लिए आध्यात्मिक प्रशिक्षण और योग केन्द्र खोलना।
उन क्षेत्रों में जो अकाल, आग, बाढ़, भूकम्प आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है या हो गये हैं, सहायता करना और अन्य सहयोग करना। संस्थान राज्य/केन्द्र द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं के लिये सहयोग करना।
समाज के छात्रों/लोगों के उपयोग और सुविधा के लिए छात्रावासों, पुस्तकालय, वाचनालय स्थापित करना एवं प्रबन्धन करना।
शिक्षा/खेल व अन्य क्षेत्र में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यालय, महाविद्यलाय, विश्वविद्यालय स्तर पर विशेष योग्यता प्राप्त करने पर पुरस्कार, पदक और अन्य सम्मान देना। समाज के प्रतिभाशाली छात्र छात्रा को छात्रवृŸिा प्रदान करना।
समाज के विवाह योग्य युवक युवतियों के लिय सामुहिक विवाह एवं युवा परिचय सम्मेलन आयोजित करना।
राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, सामाजिक और अन्य त्यौहारों और जयन्तियों जो संस्थान के उद्धेश्यों के पूरक हो, के आयोजन के लिए सहायता करना, उनका प्रबन्धन करना और प्रोत्साहित करना।
बालिका एवं महिला शिक्षा के लिए विशेष कार्य करना-छात्रावास स्थापित करना, व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रबंधन करना एवं कार्यरत महिलाओं के लिए आवास प्रबंधन करना।
सांस्कृतिक, सामाजिक, कृषि व संस्थान के अन्य उदेश्यों की पूर्ति हेतु शोध करवाना व प्रोत्साहित करना।
संस्थान के उदेश्यों व शोध, इतिहास संबंधि लेखन करवाना व प्रचार प्रसार हेतु पत्र पत्रिकाओं व पुस्तकों का प्रकाशन करवाना।
चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा हेतु शिविर आदि आयोजित करवाना।
नशा उन्मूलन हेतु विशेष कार्य करना व नशा प्रवृति की रोकधाम हेतु समाजिक जाग्रति अभियान चलाना।
समाज के किसी भी शहीद के परिवार का सम्मान करना एवं आवश्यकतानुसार संस्थान द्वारा सहयोग/सहायता करना।
किसान हितेसी योजनाओ को लागु करना जैसे कर्सक उत्पादन संगठन उन्नत बीज जैविक खेती उन्नत करसि उपकरण।
शहरी छेत्र के नजदीक सर्व सुविधा सम्पन पारिवारिक कॉलोनी विकसित करना ।
1965 भारत-पाक युद्ध के शहीद। गाँव: बायतु भीमजी (बाड़मेर)
नागौर में राधणू गाँव के दिवंगत श्री माला राम पोटालिया (सूबेदारजी), पास के क्षेत्र में सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए महान स्थानीय पहलवान अग्रणी, ने पाकिस्तान के साथ प्रारंभिक लड़ाई में मातृभूमि की सेवा की।
1965 भारत-पाक युद्ध के शहीद। राजस्थान के बाड़मेर तहसील के बायतु चिमनजी गाँव से।
नागौर में रायधनु गांव के समुद्री इंजीनियर जोधपुर में बसे थे
(जन्म: १ ९ ०५) जोधपुर से, राजस्थान के जोधपुर में एक सामाजिक कार्यकर्ता थे।
शारीरिक रचना में पीएचडी, प्रो। नागौर में रधानु गाँव से जोधपुर मेडिकल कॉलेज जोधपुर में बस गए
भैरा राम पोटलीया: आईआरएस 2009 बैच, आयकर निदेशक (जांच), उदयपुर में, 2006 बैच के पूर्व आरएएस , M : +91 95 30 400175
सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में प्रोफेसर
राष्ट्रीय अध्यक्ष पोटलिया समाज
11 to 14, Udhyog Nagar, M.I.A, IInd Phase Basni,
Jodhpur - 342001